सर्दियों में बुज़ुर्ग रात को छाछ क्यों न पिएँ? जोड़ दर्द, गैस और सुन्नपन बढ़ने का कारण

सर्दियों में बुज़ुर्ग रात को छाछ क्यों न पिएँ? जोड़ दर्द, गैस और सुन्नपन बढ़ने का कारण


सर्दियों में बुज़ुर्गों के लिए रात में छाछ पीने के नुकसान, जोड़ दर्द, गैस और नसों में सुन्नपन की समस्या

सर्दियों का मौसम बुज़ुर्गों के लिए आसान नहीं होता। ठंड बढ़ते ही बहुत‑से लोगों को जोड़ों का दर्द, पेट भारी रहना, गैस बनना और हाथ‑पैरों में सुन्नपन जैसी परेशानियाँ होने लगती हैं। ऐसे समय में खानपान की छोटी‑सी गलती भी इन तकलीफों को और बढ़ा सकती है।

अक्सर देखा गया है कि कई बुज़ुर्ग रात के खाने के साथ या खाने के बाद छाछ पी लेते हैं। उन्हें लगता है कि इससे खाना हल्का रहेगा, लेकिन ठंड के मौसम में यह आदत नुकसानदेह हो सकती है।

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आयुर्वेद में छाछ की तासीर और समय का महत्व

आयुर्वेद के अनुसार हर भोजन और पेय का एक सही समय होता है। छाछ की तासीर ठंडी मानी जाती है और यह कफ बढ़ाने वाली होती है। दिन में जब पाचन अग्नि मजबूत रहती है, तब छाछ शरीर के लिए लाभकारी हो सकती है। लेकिन रात के समय, खासकर सर्दियों में, पाचन कमजोर हो जाता है।


इसी कारण आयुर्वेद में ठंड के मौसम में रात को छाछ पीने से बचने की सलाह दी जाती है, विशेष रूप से बुज़ुर्गों के लिए।

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सर्दियों में रात को छाछ पीने से होने वाली 5 मुख्य परेशानियाँ

1. जोड़ों का दर्द और अकड़न

सर्दियों में बुज़ुर्गों के जोड़ों में पहले से ही ठंड का असर रहता है। जब रात के समय ठंडी तासीर वाली छाछ ली जाती है, तो यह ठंड सीधे जोड़ों तक पहुँचती है। इससे घुटनों, कमर, कंधों और उंगलियों में दर्द बढ़ सकता है। कई बुज़ुर्ग सुबह उठते समय जकड़न महसूस करते हैं और चलने‑फिरने में समय लगता है। यह समस्या धीरे‑धीरे पुरानी हो सकती है।


2. नसों में सुन्नपन और झनझनाहट

ठंड के मौसम में रक्त संचार अपने आप धीमा हो जाता है। रात में छाछ लेने से शरीर के अंदर ठंड और बढ़ जाती है, जिससे नसों तक खून का प्रवाह ठीक से नहीं पहुँच पाता। इसका असर हाथ‑पैरों में सुन्नपन, झनझनाहट और सुई‑चुभन जैसी तकलीफ के रूप में दिखाई देता है, खासकर सुबह के समय।


3. गैस, अपच और पेट भारी रहना

रात में पाचन अग्नि कमजोर होती है और शरीर आराम की अवस्था में चला जाता है। ऐसे समय छाछ जैसी ठंडी चीज़ लेने से खाना सही तरह नहीं पच पाता। इसका नतीजा गैस बनना, डकार आना, पेट फूला रहना और कभी‑कभी सीने में जलन के रूप में दिखता है। यही वजह है कि नींद भी बार‑बार टूटती है।


4. खांसी, बलगम और सांस की परेशानी

छाछ कफ बढ़ाने वाली मानी जाती है। सर्दियों में जब शरीर में कफ पहले से जमा रहता है, तब रात में छाछ पीने से यह और गाढ़ा हो सकता है। इससे गले में बलगम, खांसी, सीने में भारीपन और सांस लेने में तकलीफ महसूस हो सकती है, जो बुज़ुर्गों के लिए परेशानी बढ़ा देती है।


5. नींद की गुणवत्ता पर असर

रात को छाछ लेने से पेट में ठंड जमा हो जाती है। इसका असर सीधा नींद पर पड़ता है। नींद बार‑बार खुलना, बेचैनी रहना और सुबह उठते ही थकान महसूस होना आम समस्या बन सकती है। बुज़ुर्गों के लिए अच्छी नींद बहुत ज़रूरी होती है, इसलिए ऐसी आदतों से बचना जरूरी है।

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छाछ पीने का सही समय क्या है?

आयुर्वेद के अनुसार छाछ पीने का सबसे अच्छा समय दोपहर का भोजन माना जाता है। इस समय शरीर की पाचन अग्नि मजबूत रहती है और छाछ आसानी से पच जाती है।

यदि सर्दियों में छाछ ली जाए, तो उसमें थोड़ा भुना जीरा या सोंठ मिलाना अधिक सुरक्षित माना जाता है।

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रात में छाछ की जगह क्या लें?

रात के समय बुज़ुर्गों के लिए ये विकल्प ज़्यादा सुरक्षित माने जाते हैं:

• गुनगुना दूध (यदि पचता हो)

• हल्का सूप

• सिर्फ सादा गर्म पानी

ये विकल्प शरीर में ठंड नहीं बढ़ाते और नींद व पाचन दोनों के लिए बेहतर होते हैं।

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निष्कर्ष


सर्दियों में बुज़ुर्गों को जोड़ों का दर्द, गैस और सुन्नपन सबसे ज़्यादा परेशान करता है। ऐसे समय में खाने‑पीने की आदतों में थोड़ा‑सा ध्यान रखना बहुत फर्क डाल सकता है। आयुर्वेद के अनुसार ठंड के मौसम में रात को छाछ पीने से बचना और सही समय पर सही भोजन लेना ही बेहतर स्वास्थ्य की कुंजी है।


याद रखें — कमजोरी उम्र की वजह से नहीं, गलत समय पर ली गई आदतों की वजह से होती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

Q1. क्या बुज़ुर्ग दिन में छाछ पी सकते हैं?

हाँ, आयुर्वेद के अनुसार दोपहर के भोजन के साथ छाछ ली जा सकती है, क्योंकि इस समय पाचन शक्ति सबसे अच्छी रहती है।

Q2. सर्दियों में छाछ पीनी हो तो क्या मिलाना चाहिए?

यदि छाछ ली जाए, तो उसमें भुना जीरा या सोंठ मिलाना बेहतर माना जाता है, ताकि उसकी ठंडी तासीर संतुलित हो सके।

Q3. क्या रात में थोड़ी‑सी छाछ भी नुकसानदेह है?

बुज़ुर्गों में पाचन कमजोर होने के कारण थोड़ी‑सी छाछ भी गैस, दर्द और सुन्नपन बढ़ा सकती है, इसलिए रात में इसे टालना ही बेहतर है।

Q4. रात में छाछ की जगह सबसे सुरक्षित विकल्प क्या है?

रात में गुनगुना दूध (यदि पचता हो), हल्का सूप या सिर्फ गर्म पानी ज़्यादा सुरक्षित विकल्प माने जाते हैं।

Q5. क्या यह समस्या सभी उम्र के लोगों में होती है?

युवा लोगों में पाचन मजबूत होने के कारण असर कम हो सकता है, लेकिन बुज़ुर्गों में यह समस्या ज़्यादा देखने को मिलती है।

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Disclaimer


यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य

 से लिखा गया है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या में डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक है।

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